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चैत्र नवरात्रि 2025 दिन 4: जानिए मां कुष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र, प्रसाद और कथा के बारे में - Chaitra navratri 2025 Day 4: Know about the worship method, mantra, prasad and story of maa kushmanda

चैत्र नवरात्रि 2025 दिन 4: जानिए मां कुष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र, प्रसाद और कथा के बारे में – Chaitra navratri 2025 Day 4: Know about the worship method, mantra, prasad and story of maa kushmanda

आज, बुधवार, 2 अप्रैल 2025 को चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां कूष्मांडा की पूजा से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और सम्मान में वृद्धि होती है। मां कूष्मांडा को सृष्टि की रचनाकार माना जाता है और उनका स्वरूप अष्टभुजा धारी है। देवी ने अपने हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जप माला धारण कर रखे हैं। वे सिंह पर सवार रहती हैं और उनका स्वरूप अलौकिक और दिव्य माना जाता है। आइए जानते हैं मां कूष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र, भोग, शुभ रंग और उनकी पौराणिक कथा।

Disclaimer : यह खबर सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई है। JPB News 24 इस खबर की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं करता है। अधिक जानकारी के लिए आप हमें संपर्क कर सकते हैं

मां कूष्मांडा की पूजा विधि –

1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
2. पूजा स्थल और मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें।
3. मां कूष्मांडा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
4. शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
5. मां को कुमकुम और हल्दी का तिलक करें।
6. लाल रंग का वस्त्र या चादर अर्पित करें।
7. मालपुए, दही और हलवे का भोग लगाएं।
8. मां के मंत्रों का जाप करें और आरती करें।

मां कूष्मांडा का मंत्र –

ऊं कूष्माण्डायै नम:

बीज मंत्र –

कूष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:

ध्यान मंत्र –

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कूष्मांडा का भोग –

मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग अत्यंत प्रिय है। इसके अलावा, भक्त दही और हलवा भी मां को अर्पित कर सकते हैं।

चैत्र नवरात्रि चौथे दिन का शुभ रंग –

चौथे दिन नारंगी और गहरा नीला रंग शुभ माना जाता है। यह रंग सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है।

मां कूष्मांडा की कथा –

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब ब्रह्मा, विष्णु और महेश सृष्टि की रचना करने में असमर्थ थे, तब पूरे ब्रह्मांड में अंधकार ही अंधकार था। कोई जीवन नहीं था और न ही कोई शक्ति कार्य कर रही थी। तब देवताओं ने मां दुर्गा का आह्वान किया। मां दुर्गा ने अपने कूष्मांडा स्वरूप में प्रकट होकर अपनी मंद मुस्कान मात्र से सृष्टि का निर्माण किया। कूष्मांडा शब्द का अर्थ है  कूष्म (तरंग) और आंडा (ब्रह्मांड का अंडा) अर्थात, वह देवी जिनकी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई। इसीलिए मां कूष्मांडा को आदिशक्ति भी कहा जाता है।

 

चैत्र नवरात्रि 2025 दिन 4: जानिए मां कुष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र, प्रसाद और कथा के बारे में –

Chaitra navratri 2025 Day 4: Know about the worship method, mantra, prasad and story of maa kushmanda