
कांग्रेस पार्टी ने भारत में यात्री कारों की बिक्री में गिरावट को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। पार्टी ने दावा किया कि यह बदलाव देश की असमान होती अर्थव्यवस्था, स्थिर आय, और कमजोर निवेश का संकेत है। कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने बुधवार को एक मीडिया रिपोर्ट साझा करते हुए केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाए।
रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा 2018-19 में यात्री कारें कुल वाहन बिक्री का 65% हिस्सा थीं, जो अब घटकर मात्र 31% रह गई हैं। जबकि SUV और MPV की हिस्सेदारी अब 65% हो गई है। यह गंभीर असंतुलन देश की आर्थिक संरचना में गहराई से हो रहे बदलाव को दिखाता है।
उन्होंने आगे कहा कि कार बिक्री को पारंपरिक रूप से एक आर्थिक स्वास्थ्य संकेतक माना जाता रहा है, लेकिन अब GDP ग्रोथ और कार बिक्री के बीच स्पष्ट वियोजन देखने को मिल रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार मध्यम वर्ग अब टू-व्हीलर से एंट्री-लेवल कार की ओर बढ़ने में असमर्थ है। इसके उलट, लग्जरी SUV सेगमेंट में पहली बार खरीदारी करने वालों की हिस्सेदारी बढ़ रही है।
जयराम रमेश ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, बढ़ती असमानता के कारण, अमीर वर्ग ही आर्थिक विकास का बड़ा हिस्सा ले रहा है जबकि 88% भारतीय परिवार सालाना ₹12 लाख से कम कमाते हैं।
रमेश ने कहा कि मध्यम और निम्न वर्ग के उपभोक्ता बढ़ती महंगाई के बीच अपनी आय में कोई वृद्धि नहीं देख पा रहे हैं। इससे खपत और निवेश दोनों पर असर पड़ रहा है।
उन्होंने लिखा घरेलू बाजारों में कमजोर मांग के कारण अब ऑटो निर्माता निर्यात पर निर्भर हो रहे हैं। इससे घरेलू उत्पादन और नई फैक्ट्री लगाने के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं बचता।
कांग्रेस ने ऑटो बिक्री के आंकड़ों के आधार पर कहा, अधिकांश भारतीय उपभोग अर्थव्यवस्था से बाहर –
Congress said based on auto sales data, most indian consumption is outside the economy