
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के फैसले का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि विरोध करने वाले दल वास्तविक मुद्दों के अभाव में अनावश्यक विवाद पैदा कर रहे हैं।
गुरुवार को चापेकर बंधुओं को समर्पित एक राष्ट्रीय स्मारक के उद्घाटन समारोह में पवार ने कहा, मराठी हमारी मातृभाषा है और राज्य में इसे हमेशा प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा, कुछ लोग केवल हिंदी भाषा को लेकर विवाद इसलिए खड़ा कर रहे हैं क्योंकि उनके पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है।
पवार ने यह भी कहा कि अंग्रेजी का उपयोग पूरे देश में व्यापक है और हिंदी भी कई राज्यों में बोली जाती है। उन्होंने राष्ट्रभाषा को लेकर जारी बहस में न पड़ते हुए स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा सर्वोपरि रहेगी।
राज्य सरकार के फैसले के अनुसार, अब मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी अनिवार्य तीसरी भाषा होगी। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत नए त्रि-भाषा फॉर्मूले के क्रियान्वयन का हिस्सा है।
हालांकि, इस निर्णय का महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे और कांग्रेस ने विरोध किया है। राज ठाकरे ने इसे राज्य के हिंदीकरण का प्रयास बताया, वहीं कांग्रेस ने इस फैसले को हिंदी थोपने जैसा करार दिया।
अजीत पवार ने आगे कहा कि मराठी, हिंदी और अंग्रेजी तीनों भाषाओं का महत्व है, लेकिन मराठी की प्रमुखता हमेशा बनी रहेगी। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला है, जो लंबे समय से लंबित था।
पवार ने यह घोषणा भी की कि मुंबई में मराठी भाषा भवन की स्थापना के लिए कार्य प्रगति पर है, जिससे मराठी भाषा को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।
राज्य स्कूल शिक्षा विभाग ने एनईपी 2020 के तहत तैयार नए पाठ्यक्रम ढांचे को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना भी घोषित की है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को बहुभाषीय शिक्षा प्रदान करना है।
अजित पवार ने स्कूलों में हिंदी अनिवार्य करने का बचाव किया, कहा मराठी सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी –
Ajit pawar defended hindi compulsory in schools, said marathi will remain the top priority