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चैत्र नवरात्रि 2025: जानें दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व, विधि, प्रसाद, मंत्र और कथा - Chaitra navratri 2025: Know the importance, method, offering, mantra and story of worshiping maa brahmacharini on the second day

चैत्र नवरात्रि 2025: जानें दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व, विधि, प्रसाद, मंत्र और कथा – Chaitra navratri 2025: Know the importance, method, offering, mantra and story of worshiping maa brahmacharini on the second day

सोमवार, 31 मार्च 2025 को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस दिन देवी दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत पवित्र और दिव्य है। देवी के एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में कमंडल रहता है, जो तपस्या और साधना का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से साधकों को कठिन तप का फल प्राप्त होता है और उनके जीवन में संयम, त्याग और धैर्य का संचार होता है। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, भोग, मंत्र, शुभ रंग और कथा।

Disclaimer : यह खबर सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई है। JPB News 24 इस खबर की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं करता है। अधिक जानकारी के लिए आप हमें संपर्क कर सकते हैं

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि –

सबसे पहले सुबह स्नान कर स्वच्छ और पवित्र वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल को साफ करें और मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
मां को कुमकुम, अक्षत, सफेद या गुलाबी फूल अर्पित करें।
मां ब्रह्मचारिणी को दूध, मिश्री या पंचामृत का भोग लगाएं।
मंत्र जाप करते हुए मां के चरणों में पुष्प अर्पित करें।
मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें और परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें।

मंत्र –

ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:
ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।
सच्चिदानंद सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते।

मां ब्रह्मचारिणी का भोग –

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को दूध, मिश्री, और पंचामृत का भोग लगाना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस भोग से साधक को मानसिक शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मां ब्रह्मचारिणी का शुभ रंग –

चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन का शुभ रंग गुलाबी है। गुलाबी रंग प्रेम, करुणा और शांति का प्रतीक माना जाता है। इस दिन गुलाबी वस्त्र धारण करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा –

शिवपुराण के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी का पूर्व जन्म में नाम पार्वती था। उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी। माता ने हजार वर्षों तक फलाहार किया और तीन हजार वर्षों तक केवल पत्तियां खाकर तपस्या की। उनकी कठोर साधना से देवता, ऋषि-मुनि और ब्रह्मा जी अत्यंत प्रसन्न हुए और देवी को शिवजी को पति रूप में प्राप्त होने का आशीर्वाद दिया। मां की इस घोर तपस्या के कारण उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।

 

चैत्र नवरात्रि 2025: जानें दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व, विधि, प्रसाद, मंत्र और कथा –

Chaitra navratri 2025: Know the importance, method, offering, mantra and story of worshiping maa brahmacharini on the second day