
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने शिवसेना (यूबीटी) के साथ संभावित राजनीतिक गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया है। मनसे के वरिष्ठ नेता संदीप देशपांडे ने गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पार्टी प्रमुख राज ठाकरे तभी गठबंधन पर विचार करेंगे जब शिवसेना (यूबीटी) की ओर से कोई ठोस और औपचारिक प्रस्ताव सामने आएगा।
देशपांडे ने कहा कि राज ठाकरे ने हाल ही में दिए एक साक्षात्कार में सिर्फ बातचीत के लिए खुलेपन का संकेत दिया था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे सीधे तौर पर गठबंधन के पक्ष में हैं।
संदीप देशपांडे ने आरोप लगाया कि अतीत में 2014 और 2017 में जब मनसे ने गठबंधन के लिए पहल की थी, तो उसे शिवसेना (यूबीटी) की ओर से धोखा मिला। उन्होंने कहा, हमने प्रस्ताव भेजे, लेकिन उन्होंने भरोसा तोड़ा। अगर अब वे गठबंधन चाहते हैं, तो उन्हें राज ठाकरे को एक उचित प्रस्ताव भेजना चाहिए। उसके बाद वे इस पर निर्णय लेंगे।
देशपांडे ने यह भी स्पष्ट किया कि राज ठाकरे ने महा विकास अघाड़ी (MVA) के घटक के रूप में शिवसेना (यूबीटी) के साथ किसी राजनीतिक गठबंधन का सीधा समर्थन नहीं किया है।
उन्होंने कहा, राज ने केवल इतना कहा कि अगर उद्धव ठाकरे की पार्टी गठबंधन के लिए इच्छुक है, तो वे इस पर विचार करेंगे। इसका मतलब यह नहीं है कि गठबंधन तय है।
एक सवाल के जवाब में संदीप देशपांडे ने कहा कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ शिवसेना या भाजपा की ओर से मनसे के साथ किसी गठबंधन को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक संचार नहीं हुआ है।
गौरतलब है कि हाल ही में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच संभावित सुलह को लेकर अटकलें तेज हुई थीं। दोनों नेताओं ने मराठी मानुस के व्यापक हित में ‘मामूली मुद्दों’ को नजरअंदाज कर साथ आने के संकेत दिए थे।
राज ठाकरे ने 2005 में शिवसेना से अलग होकर 2006 में मनसे की स्थापना की थी। इसके बाद से शिवसेना और मनसे के रिश्तों में कटुता रही, हालांकि हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों के चलते समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं।
मनसे: अतीत में विश्वासघात के बाद शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन के संबंध में ठोस प्रस्ताव की मांग –
MNS: Demand for concrete proposal regarding alliance with shiv sena (UBT) after betrayal in the past