
केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रव्यापी जनगणना की अधिसूचना में जातिवार जनगणना का कोई स्पष्ट उल्लेख न होने को लेकर सियासी विवाद तेज हो गया है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने मंगलवार को केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि अधिसूचना में जातिगत आंकड़ों का कोई जिक्र नहीं है और इसके लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान भी नहीं किया गया है।
कांग्रेस ने आशंका जताई है कि जातिवार जनगणना का हाल कहीं महिला आरक्षण विधेयक जैसा न हो जाए, जिसे संसद से पारित तो किया गया, लेकिन अब तक लागू नहीं किया गया है। पार्टी ने जातिवार जनगणना के मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए अपने युवा ओबीसी नेता सचिन पायलट को मोर्चे पर उतारा।
नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने कहा कि जनगणना के लिए कुल 10,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है, लेकिन इस वर्ष केवल 574 करोड़ रुपये का ही बजट आवंटित किया गया है।
उन्होंने सवाल उठाया कि अगर 2020 में जनगणना की तैयारियां अंतिम चरण में थीं और 2021 के बाद चुनाव तथा सर्वेक्षण बिना अड़चन के हो रहे हैं, तो जनगणना छह साल तक क्यों टाली गई?
सचिन पायलट ने यह भी सवाल उठाया कि क्या 2027 में संभावित जनगणना और उसके आधार पर परिसीमन केवल भाजपा शासित राज्यों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया जा रहा है? उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी शुरू से जातिवार जनगणना की मांग कर रहे हैं, लेकिन भाजपा ने इसे नकारते हुए कांग्रेस नेताओं को शहरी नक्सली तक कह दिया था।
पायलट ने कहा कि सरकार ने भले ही दबाव में आकर सैद्धांतिक रूप से जातिवार गणना की मंजूरी दे दी हो, लेकिन अधिसूचना में इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं है, जिससे जनता के बीच भ्रम और असंतोष है। उन्होंने केंद्र से आग्रह किया कि तेलंगाना मॉडल अपनाया जाए, जिसमें सभी वर्गों की भागीदारी और परामर्श के आधार पर प्रश्नावली तैयार की गई थी।
पायलट ने आरोप लगाया कि सरकार केवल राजनीतिक विमर्श को नियंत्रित करने में लगी है। उन्होंने कहा कि भाजपा का ट्रैक रिकॉर्ड ऐसा रहा है कि महिला आरक्षण विधेयक की तरह जातिवार जनगणना को भी चुपचाप टालने की रणनीति पर काम हो सकता है।
जनगणना को लेकर सियासत गरमाई, सचिन पायलट ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल –
Politics heats up over census, Sachin pilot raised questions on the intention of the government