
कांग्रेस संगठन सृजन अभियान की बैठक के लिए मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल पहुंचे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कांग्रेस के पुनर्गठन की रणनीति के तहत संगठन को मजबूत करने के टिप्स दिए। हालांकि इस दौरान उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को लेकर जो टिप्पणी की, वह अब राजनीतिक बहस का विषय बन गई है।
बैठक में राहुल गांधी ने पार्टी के बुजुर्ग नेताओं को अप्रत्यक्ष रूप से लंगड़ा घोड़ा करार दिया और कहा कि अब ऐसे नेताओं को रिटायर कर दिया जाएगा, जो दौड़ नहीं सकते या नई टीम को आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं। उनके इस बयान का सीधा संकेत कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया और रामेश्वर नीखरा जैसे अनुभवी नेताओं की ओर माना जा रहा है, जो इंदिरा गांधी और राजीव गांधी युग से कांग्रेस की रीढ़ रहे हैं।
राहुल गांधी के इस रुख से यह स्पष्ट हो रहा है कि वह अब पार्टी में नई पीढ़ी को नेतृत्व देना चाहते हैं। उन्होंने कहा, हम मध्य प्रदेश में 55 नए नेता तैयार करेंगे जो भविष्य का नेतृत्व करेंगे।
हालांकि कांग्रेस का इतिहास बताता है कि बुजुर्ग नेताओं को हमेशा सम्मान और जिम्मेदारी मिली है। चाहे जमुना देवी को आखिरी समय तक नेता प्रतिपक्ष बनाए रखना हो या अर्जुन सिंह को केंद्रीय मंत्री बनाना, पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं को सम्मानजनक भूमिका दी है।
राहुल गांधी ने कहा, अब हमें रेस के घोड़े और बारात के घोड़े में फर्क करना होगा। कांग्रेस ने कई बार रेस के घोड़े को बारात में और बारात के घोड़े को रेस में डाल दिया। और फिर जब लात पड़ती है, तो वह वहीं बैठ जाता है। तीसरी श्रेणी है लंगड़ा घोड़ा, उसे रिटायर करना होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे नेता जो आगे बढ़ने वालों की टांग खींचते हैं, उन्हें पार्टी से हटाना होगा, ताकि नई टीम स्वतंत्रता से काम कर सके।
राजनीतिक विश्लेषकों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में राहुल गांधी की इस भाषा को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कई कार्यकर्ताओं का मानना है कि बुजुर्ग नेता पार्टी की धरोहर होते हैं, उन्हें अपमानित करके संगठन सुधारने की रणनीति संवेदनशीलता की कसौटी पर खरी नहीं उतरती।
राहुल गांधी के इस उम्र के फार्मूले को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा ने जब वरिष्ठ नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में भेजा था, तब भी यह प्रयोग ज्यादा सफल नहीं रहा। बाद में भाजपा को भी अपने फैसले पर पुनर्विचार करना पड़ा।
राहुल गांधी को यह भी सोचना होगा कि अगर वरिष्ठ नेता कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे थे, तो उनके खिलाफ पहले कार्रवाई क्यों नहीं हुई? यह सवाल भी उठता है कि जब उन्होंने पार्टी लाइन से बाहर जाकर बयानबाजी की, तब संगठन ने चुप्पी क्यों साधी?
राहुल गांधी ने दी बुजुर्ग नेताओं को रिटायरमेंट की नसीहत, बोले- रेस के घोड़े और लंगड़े घोड़े में फर्क जरूरी –
Rahul gandhi advised senior leaders to retire, said- it is important to differentiate between a race horse and a lame horse