
महाराष्ट्र की राजनीति में समीकरण तेजी से बदलते नजर आ रहे हैं। एक तरफ जहां ठाकरे बंधुओं उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के संभावित गठबंधन की चर्चा जोरों पर है, वहीं अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दो धड़ों शरद पवार गुट और अजित पवार गुट के एक साथ आने की अटकलों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।
इस राजनीतिक सुगबुगाहट की वजह बना है पुणे जिले के बारामती तालुका में स्थित मालेगांव सहकारी चीनी कारखाना चुनाव, जो 22 जून 2025 को होने वाला है। यह चुनाव केवल एक सहकारी संस्था की प्रक्रिया नहीं, बल्कि पवार परिवार की राजनीति का अहम इम्तिहान माना जा रहा है।
बारामती, शरद पवार और अजित पवार का गढ़ रहा है और राज्य की राजनीति में इसकी भूमिका बेहद निर्णायक रही है। इसीलिए इस चुनाव के नतीजे और इससे जुड़ी रणनीति को एक संभावित राजनीतिक पुनर्मिलन के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, शरद पवार गुट ने मालेगांव शुगर फैक्ट्री चुनाव में अजित पवार से 21 में से 6 सीटों की मांग की है। सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या अजित पवार इस प्रस्ताव को मानेंगे। आज नामांकन वापसी की अंतिम तारीख है और दोपहर तक यह स्पष्ट हो जाएगा कि पवार परिवार बारामती की इस जंग में एक साथ खड़ा होगा या नहीं।
अगर दोनों गुटों का पैनल साझा तौर पर सामने आता है, तो यह माना जाएगा कि एनसीपी में एकता की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। हालांकि, अजित पवार गुट के दो वरिष्ठ नेता इस एकता के विरोध में बताए जा रहे हैं, जिससे अंत तक स्थिति स्पष्ट नहीं मानी जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों काjpb मानना है कि अगर शरद और अजित पवार के बीच यह एकजुटता परवान चढ़ती है, तो इससे ना सिर्फ एनसीपी मजबूत होगी, बल्कि केंद्र की राजनीति में भी इसका असर दिख सकता है। इस गठबंधन की स्थिति में सुप्रिया सुले को केंद्र सरकार में मंत्री पद मिलने की संभावना जताई जा रही है।
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में संभावित नए गठबंधन और समीकरणों की चर्चाओं को हवा दे दी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या पवार परिवार अपने पुराने मतभेदों को भुलाकर एकजुटता की नई मिसाल पेश करेगा।
महाराष्ट्र की सियासत में हलचल: क्या शरद पवार और अजित पवार फिर आएंगे साथ? –
Stir in Maharashtra politics: Will Sharad pawar and ajit pawar come together again?